■महाशिवरात्रि पर विशेष : केवरा यदु ‘मीरा’.
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♀ शिवरात्रि
♀ केवरा यदु ‘मीरा’
[ राजिम-छत्तीसगढ़ ]
करे नंदी की सवारी,संग सोहे गौरा प्यारी।
सर्प गले हार सोह,मेरे भोले नाथ है।।
बिच्छू के कुण्डल सजे,कर ड़मरू है बजे।
संग भूत प्रेत रहे,झुकाऊँ मैं माथ है।।
जटा गंग धार बहे,चंद्रमौलि जग कहे।
दया के सागर हर,भजे रधुनाथ है।।
चढ़े बिल्व पत्र शिव,दुग्ध दही गंगाजल।
फूल धतूरा है प्रिय,भक्तन के साथ है।।
■कवयित्री संपर्क-
■93993 04136
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