■अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष : डॉ. दीक्षा चौबे.
♀ नारी शक्ति
♀ डॉ. दीक्षा चौबे
मना रही यह सारी दुनिया
नारी शक्ति का पर्व है ।
सृजनशील नारी हूँ मैं ,
निज अस्तित्व पर गर्व है ।।
झूठा लाँछन नहीं सहूँगी ,
सीता-सी मैं सती नहीं ।
दाँव लगा दो मुझे जुए में ,
पांचाली द्रौपती नहीं ।
हाथ काट दूँ दुःशासन का ,
यदि गलती से स्पर्श करे ।
काली बन रक्त पान करती,
दानव मुझको देख डरे ।
सत्य शक्ति स्थापित कर दूँ ,
सृष्टि में व्यापक सर्व है ।।
दुर्गावती सी वीरांगना ,
दुश्मन पर वह वार करूँ ।
झाँसी की रानी बनकर मैं ,
दुष्टों का संहार करूँ ।
राजनीति में इंदिरा हूँ ,
विज्ञान की हूँ कल्पना ।
खेलों में हूँ उषा साइना ,
मैं लता की सुर-साधना ।
स्त्री जीवन के सभी क्षेत्र में ,
रही सफल सगर्व है ।।
माता बेटी या बहन रूप ,
उस पर गर्व सदा करती ।
लक्ष्मी हूँ अन्नपूर्णा मैं ,
खुशियों से जग को भरती ।
संस्कृति की संवाहक स्त्री ही ,
मुझसे ही त्यौहार सभी ।
छाया हो स्नेह आशीष की ,
ममता पवित्र प्यार भी ।
मुझ बिन यह सृष्टि अधूरी है ,
मानव सभ्यता खर्व है ।।
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