■विश्व पुस्तक दिवस के उपलक्ष में विद्या गुप्ता की एक रचना.
3 years ago
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♀ रुकिए मत लिखते रहिए…!!
♀ विद्या गुप्ता
[ दुर्ग छत्तीसगढ़ ]
किसी दिन थक कर
अवश्य लौटेगी पीढ़ी
फिर किताबों की ओर….!!
बांध नहीं पाएंगे अधिक दिन
सुनहरे आकर्षण
आकाशी भ्रम
मांसल सड़कों पर दौड़ते पैर
लौटेंगे मांस की दुर्गंध से उबकर
सोंधी मिट्टी की ओर
भटके थके पांव
खोजेगे अपनी गंध वाली कोठरी
उंगलियों से टर्टोलेंगे अपना चेहरा
यह भी याद नहीं होगा उन्हें
किस पेड़ से उगे थे वे
किताबें कहेंगी तब
आदमी की आदतों के बारे में
सौंपेगी उन्हें
आदमी होने के प्रमाण
किताब वेद हो जाएगी
सृजन विसर्जन गाती बतलाएगी
कितने संवत्सर बाद
लौटे हो तुम
■कवयित्री संपर्क-
■96170 01222
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