■रचना आसपास : परमेश्वर वैष्णव.
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♀ ऊपर उड़ने वाले गिरेंगे जमीं पर.
♀ परमेश्वर वैष्णव.
[ अध्य्क्ष, प्रगतिशील लेखक संघ भिलाई-दुर्ग,छत्तीसगढ़ ]
अंधेरे में थे आभास हुआ
सहसा जब प्रकाश हुआ
मंजिलें बेहद करीब लगी
जब मुकम्मल प्रयास हुआ
दिखावे की है सबकी चाहत
निःस्वार्थ कोई न खास हुआ
उन्हीं ने मारा जिनपे हम मरे
अपनापन का पर्दाफाश हुआ
धोखा वही अपने दे गए हमें
जिन पर अटूट विश्वास हुआ
ऊपर उड़ने वाले गिरेंगे जमीं पर
कभी किसी का न आकाश हुआ
काहे का दम्भ काहे का गुरुर
सांसे थमी आदमी लाश हुआ
■कवि संपर्क-
■94255 57048
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