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  • ■साहित्य : डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ [रायपुर छत्तीसगढ़]

■साहित्य : डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ [रायपुर छत्तीसगढ़]

3 years ago
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♀ ग़ज़ल-कब होता है

कैसे बोलें कब होता है
धीरे – धीरे सब होता है

हो जाता है मन बेकाबू
दर्द पुराना जब होता है

मर्ज़ बढ़ा दे जो रोगी का
वो नुस्ख़ा बेढब होता है

इश्क़ करोगे फिर जानोगे
दर्द किसी का कब होता है

आ जाता है वक़्त समझ में
जब आँखों में रब होता है

बात नहीं जब सुनता ये दिल
इश्क किसी से तब होता है

कल जो हो ना पाया ‘नवरंग’
ना जाने क्यों अब होता है

■संपर्क-
■79748 50694

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