■पर्यावरण दिवस पर विशेष कविता : विद्या गुप्ता●
2 years ago
201
0
♀ हरी सांसों के लिए
हरी सांसों के लिए
हरे पत्ते में बह रही है
एक नदी है हरहराती हुई
हरे पत्ते में चमक रहा है
एक आयुष्मान सूरज
घूम रही है हरे पत्ते में
धरती की हरे रहने की
दीर्घ जीवी इच्छा
हरे पत्ते के विराट में
समा रहा है धरती पर आकाश
का उतर आना
हरे पत्ते की बांसुरी
फूंक रही है ह्रदय गीत
हमारे लिए
फैला दो हरेपन पर
अपनी हथेलियों का अभय
उसकी शिराओं में है
हमारे सुरों के दीर्घा हस्वा
हरे पत्ते में लिखी है
समुद्र की प्रार्थना
ठहरो देखो ….!!
महा प्रलय की गर्जना करता
विद्रोही दावानल देख रहा है
तुम्हारे निर्णय की ओर
■कवयित्री संपर्क-
■96170 01222
◆◆◆ ◆◆◆