■पर्यावरण दिवस पर विशेष रचना : मीता अग्रवाल ‘मधुर’
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♀ पर्यावरण
भूले हम पर्यावरण,नूतन नित्य विकास।
वृक्षों को हम काटते,भौतिकता की आस।
भौतिकता की आस,बची अब केवल सड़के।
ऊँची हुई इमारतें,कार खानें हो बड़के ।
कहती मधुर विचार, चाहते अंबर छूले।
काटे वृक्ष हजार, पर्यावरण हम भूले।।
आँधी अरु तूफान का, मचा हुआ है जोर।
पर्यावरण असंतुलन,धरती पर है शोर ।
धरती पर है शोर,उठा भूकंप ने मारा।
फसल किया बरबाद,मनुज मन इससे हारा।
नेक मधुर सी बात, हरितमा किसने बाँधी।
पर्यावरण बचाव, वरन ले जाए आँधी।
■कवयित्री संपर्क-
■98265 40456
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