■कविता : सुनीता अग्रवाल [रांची-झारखंड].
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♀ सावन को आने दो
पहनूँगी हरी चूड़ियाँ
करूँगी मैं श्रिंगार।
छटेंगे ग़म के बादल
मिलेगा दिल को करार॥
छाएगी ख़ुशियाँ
बरसेगा प्यार।
होंगे पूरे सपनें
खतम होगा इंतज़ार।
रीझेंगे मेरे इष्ट
मैं करूँगी मनुहार।
मिटेगा तम दिलों का
मिटेगा अंधकार।
बरसेगा बादल
पड़ेगी फुहार।
बरसेगा धरा पर
प्यार बेशुमार।
हटेगी मायूसियत
होगा चमन गुलज़ार।
पड़ेंगे झुलें
फिर इस बार॥
गायेंगी सखियाँ
मनाएँगे त्योहार।
रचेगी मेहंदी
निरखेगा प्यार।
भर लेंगे दामन में
ख़ुशियाँ हज़ार।
जाएँगे मिलकर
बाबा के द्वार।
मनाएँगे भोले बाबा को
करेंगे जयकार॥
बस एक ज़रा सखि
सावन को आने दो,,,,,,,,
■सुनीता अग्रवाल
[संपर्क-76774 57423]
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