▪️ रचना आसपास : पं. बासुदेव भट्टाचार्य.
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▪️ मातृशक्ति
तुम्हीं हो दुर्गा
तुम्हीं हो काली
तुम्हीं हो भारतमाता
हर हृदय में तुम्हीं हो भक्ति
हर नारी में तुम्हीं हो शक्ति
तुम्हीं हो त्रेता युग की सीता
तुम्हीं हो द्वापर की भागवत गीता
तुम्हीं हो नवदुर्गा
तुम्हीं हो दशमहाविद्या
तुम्हीं हो आद्याशक्ति महामाया,
जल में तुम्हीं हो, थल में तुम्हीं हो
नभ में तुम्हीं हो, तुम्हीं हो अंतरिक्ष में
तुम्हीं हो विष्णुजाया,
कभी तुम द्विभूजा, कभी चतुर्भूजा
कभी दशभूजा असूरनाशिनी
कभी तुम शेरावाली,कभी हंस वाहिनी
कभी तुम धरणि पर गजगामिनी।
[ •पं.बासुदेव भट्टाचार्य, भिलाई रिसाली में स्थापित हिंदू मिलन मंदिर के पुरोहित हैं और साहित्यिक अभिरुचि व रचनाधर्मी हैं. •’ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ में पं. बासुदेव भट्टाचार्य की पहली रचना है. •संपर्क : 92299 91290 ]
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