कविता आसपास : डॉ. प्रेमकुमार पाण्डेय [आंध्रप्रदेश]
2 years ago
212
0
▪️ अश्विनी कुमार
तुम खिलखिलाना चाहते हो
बच्चों की तरह
चहकना चाहते हो
चिड़ियों की तरह
उड़ना चाहते हो
परियों की तरह
बस तुम्हें
विस्मृतियों के सागर में
गोता लगाना होगा।
तुम हो सकते हो
अश्विनी कुमार
भूल सकते हो
जर्जर तन की लाचारी
बस तुम्हें
आना चाहिए
प्रेम करना
दंतुरित मुस्कान वाले
बच्चों से
सिर्फ बच्चों से।
▪️ आवारा
इच्छाओं के पंख बांध
रंगीन सपनों से सनी
यत्र-तत्र-सर्वत्र
दोलती
लड़ती-भिड़ती
मरती-मारती
चटनी-सी
हर्ष-विषाद चाटती
आवारा पतंग
गली में मटरगस्ती करते
बच्चे की तरह
बाप की एक पुकार पर
उतर आती है
धीरे-धीरे
हौले-हौले नीचे
आज्ञाकारी बिटिया की तरह।
•कवि संपर्क –
•98265 61819
🟥🟥🟥
chhattisgarhaaspaas
Previous Post मकर संक्राति के अवसर पर बांटे कपड़े
Next Post जोशीमठ की त्रासदी : राजेंद्र शर्मा