कविता आसपास : तारकनाथ चौधुरी.
2 years ago
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🌸 बीसे का वेलेंटाइन डे
बीसे मरकर भूत हो गया,
फाँसी दे गत मास,
सुना है इमली की शाख पे
करता अब वो निवास।
आज अचानक उसी पेड़
आ बैठी एक परेतिन
पतली-पतली टाँगें उसकी
बजती रिनझिन रिनझिन।
जानी-पहचानी गंध जब
बीसे के नाक टकराई
अस्थि-देह पत्तों सा भय से
थरथर थर थर्राई।
सोचा उसने जिसके भय से
निज हाथों जान गँवाई
वही परेतिन बनकर कैसे
इमली डाल पर आई।
तभी हँसी गूँजी डरावनी
चमगादड़ डर उड़ भागे
कहा परेतिन पत्नी छुपा है
इमली पेड़ पर आके।
लिपट गई फिर बीसे से वो
दे डाली दस बीस किस
कहा प्रिये अब रुठ न मुझसे
सब झगडे़ कर डिसमिस।
रहूँगी अब मैं साथ ही तेरे
छोडो़ भी मान- अभिमान
हेतु तुम्हारे गलफाँसी दे
त्याग दिया है प्राण।
भूल पुरानी बातें आ तू
मुझको भी किस दे
झूम-झूम इमली की डाल
मनायेंगे वेलेन्टाइन डे!
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