ग़ज़ल : दशरथ सिंह भुवाल [भिलाई छत्तीसगढ़]
🌸 इस तरह आपसे जो मुलाकात थी…
इस तरह आपसे जो मुलाकात थी
यूँ कहें इश्क ही की शुरूआत थी
हम मिले और यूँ राह मिलती गयी
ये जरूर किस्मत से बनी बात थी
बिगड़ते को सुधार करती भी रही
वो यकीं से यहाँ हमख्यालात थी
चेहरे से नहीं पढ़ सके सोख्तगी
गमज़दा आँसुओं की ज्यूँ बरसात थी
रह गयी ये अधूरी कथा जो ‘ दशरथ ‘
जिंदगी में कई यूँ सऊबात थी.
▪️▪️▪️
🌸 खुल कर दिल की बात…
खुलकर दिल की बात अब साझा कीजिये
हम से कुछ यूँ दिखावा कीजिये
हैं जो हम अपने तो हिचक किस बात पे
गैरों से राज़ सभी छिपाया कीजिये
हम तो तुम्हारे गीत के शब्द स्वर
यादें जब आये गुनगुनाया कीजिये
फुर्सत में जब भी हो हमें अपनी बस
दर्द – ए – दिल के किस्से सुनाया कीजिये
‘ दशरथ ‘ से जो तुमको मुहब्बत है गर
तो हमदम की तरह बहलाया कीजिये.
▪️▪️▪️
🌸 वो जो हमारे मीत हैं…
वो जो हमारे मीत हैं
उनसे बहुत ही प्रीत है
साथ हमारे होती तो
खुशियों की वो गीत है
बहती सुंदर झरने – सी
सुरीली वो संगीत है
मन की बातें मन – मन में
वो परम प्रिय मनमीत है
हरदम साथ रहे ‘ दशरथ ‘
तो सबसे बड़ी जीत है.
▪️▪️▪️
•कवि संपर्क –
•98271 90993
🌸🌸🌸🌸🌸