नवगीत : डॉ. रा. रामकुमार
2 years ago
218
0
🌸 अदम्य आत्मविश्वास का नव्यतम नवगीत
– डॉ. रा. रामकुमार
[ बालाघाट मध्यप्रदेश ]
एक ख़्वाब टूटा है
क्रोशिया उठाते हैं
ख़्वाब नया बुनते हैं।
टाटों के हाथों में
मखमली उजाले हैं
ये कहां से आये हैं।
जो निपट अकेले हैं
भीड़ में खो जाने के
भय उन्हें सताये हैं।
बस, घने अंधेरे ही
नीलगगन पर लटके
जुगनुओं को चुनते हैं।
जंगल से आती हैं
चीखें अनहोनी की
बाघों के पंजों सी।
गांवों में ठहरे हैं
परदेसी सन्नाटे
शायद बारहमासी।
पायलें बजें केवल
नदी-घाट की, रुनझुन
चल, छुपकर सुनते हैं।
शुद्धलेख लिखवातीं
शिक्षण-शाला तुतली
असफल हैं शब्द सभी।
उच्चारण भेदों से
न्याय भी अन्याय हुआ
उल्टे इंसाफ़ तभी।
बीज सब भविष्यों के
बंद हैं भंडारण में
पड़े धरे घुनते हैं।
ख़्वाब नया बुनते हैं।
•संपर्क –
•87708 82423
▪️▪️▪️▪️▪️