ग़ज़ल : तारक नाथ चौधुरी
2 years ago
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🌸 जबसे तुम्हारे गीत मैं गुनगुनाने लगा…
– तारक नाथ चौधुरी
[चरोदा – भिलाई, जिला – दुर्ग, छत्तीसगढ़]
जबसे तुम्हारे गीत मैं गुनगुनाने लगा।
दुःख अपने सारे भूलकर मुस्कुराने लगा।।
मिलना सहज नहीं है अब पहले की तरह।
होंगे सभी भले ये मन को समझाने लगा।।
जिसकी भी हाँ में हाँ, मिलाया नहीं वही।
फेरकर मुँह चल दिया ,कतराने लगा।।
बहने लगी हवाएँ धीरे-धीरे चुनावी
वो फिर घृणा की भट्टियाँ सुलगाने लगा।।
उसके किए से पर्दा न उठ सके कभी।
जनता को इसलिए वो उलझाने लगा।।
फिर से लगा है गूँजने वादी में जन-गण-मन।
फिर से तिरंगा झूमकर लहराने लगा।।
रोता रहा बिलखता रहा ‘तारक’ जो भूख में।
ममता के घट पाकर देखो खिलखिलाने लगा।।
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•83494 08210
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chhattisgarhaaspaas
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