ईद पर विशेष : ग़ज़ल : नवेद रज़ा दुर्गवी
🌸 गिले शिकवे मिटे हम वो रुका इस ईद पर भेजे…
– नवेद रज़ा दुर्गवी
{ केलाबाड़ी, दुर्ग, छत्तीसगढ़ }
1)गिले शिकवे मिटे हम वो रूका इस ईद पर भेजे ।
रहे फिर से नई सी इब्तिदा इस ईद पर भेजे ।।
2)खजूरें सेवाई उस घर मिले देने जहाँ मुफलिस ।
बदल मे वो मुझे दिल की दुआ इस ईद पर भेजे ।।
3)हसी दस्तूर होता हैं, हमारा ईद मे जानम ।
तुझे इस बार क्या हम तौफहा इस ईद पर भेजे ।।
4)किया तेरे लिए इक वक्त तक हम तुम मिलें भाई ।
न आये तो खुदा से कह कर दुआ इस पर भेजे ।।
5)इबादत तो करें”नावेद”हर अरकान जो दिल से।
खुदा मालुम हो मुझको वो रज़ा इस ईद पर भेजे ।।
ऊर्दू शब्दों का अनुवाद –
•गिले शिकवे – मन में बुरे लगी बात या नाराज करने वाली बात
•रुका – खत, लिखा हुआ पत्र
•इब्तिदा – शुरुआत करना, आरम्भ करना
•मुफलिस – गरीब लोग, लाचार व्यक्ति
•बदल – इसी कारणवश
•हसी – सुंदर समय, शोभन
•दस्तूर – नियम, व्यवहार का तरीका
•जानम – प्रेमिका
•तौफहा – कोई सामान खरीद कर देना
•इबादत – ईश्वर की पूजा करना, प्रार्थना करना, भक्ति करना ईश्वर की
•अरकान – नियम के अनुसार किसी भी कार्य को करना
•रज़ा – खुश होना किसी कार्य से.
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