रचना आसपास : श्रीमती दीप्ति श्रीवास्तव
🌸 हास्य व्यंग्य : मुस्कुराने की वजह
– दीप्ति श्रीवास्तव
[ चौहान टाउन, जुनवानी भिलाई, जिला – दुर्ग, छत्तीसगढ़ ]
अब क्या बतायें जनाब आज के युग में मुस्कुराने की वजह खोजने की जरूरत नहीं पड़ती और लोगों को जानने की उत्सुकता रहती है ।यमुना में पानी क्या बढ़ा पीड़ितों की परेशानी में भी हल ढूंढ़ने के बजाय मजाकिया बयान लोगों को हंसाने मुस्कुराने की वजह दे जाती है । यह तो सीधे-सीधे कह नहीं सकते अमुक आदमी ने यमुना में इतनी जोर जोर से रोया कि बाढ़ आ स्थानीय लोगों को परेशानी में डाल दिया या यमुना के ऊपर बादल फटवा दिया । बारिश का मौसम है ऊपर वाले को भी नहीं बोल सकते मत बरसात करो इस बरस चुनाव होने वाले हैं हमारी कलई खुल जायेगी । किस मुंह से इन्ही बाढ़ पीड़ितों के बीच जायेंगे । तब तक तो टमाटर भी रास्ते पर आ सस्ता हो जायेगा ।तब चुनाव प्रचार के समय टमाटर फेंककर मारने पर भी कोई फायदा नहीं ।अभी के समय में टमाटर जब भाव खा रहे हैं तब फेंकते तो हम झोले में धर घर ला उनका कचूमर बना खाते फिर यार दोस्त पड़ोसियों के बीच रौब से कहते जनाब जानते हैं आज हमारे घर क्या पका ?
टमाटर का जबरदस्त स्वाद वाला कचूमर सलाद मैक्सिकन सलाद से पंगा लेता हुआ । अपने देश के मंहगे टमाटरों का कोई सानी नहीं । हां जनाब पर वह हथिनी डेम के पानी में पले बढ़े नहीं । उसका जल तो दिल्ली की यमुना में बहा रहा है । नालियों को पालिथीन का घूस दे बंद करवाने का परिणाम सड़क पर पानी कालोनियों में पानी अब हमारी महंगी कार खराब होय तो होय किसी को क्या फर्क पड़ता है। सिर पर अनाज के बोरे ढ़ोते पिक्चर टेलीविजन की टीआरपी जरुर बढ़ा रहे हैं और हम देख देख कर उकता रहे हैं कुछ नहीं तो सास बहू और साजिश देखो । यह तो अच्छा है इसी बीच विम्बलडन शुरू हो गया जो हमारी मुस्कुराहट को दो इंच बढ़ा दिया अगर वही क्रिकेट होता और पसंद का खिलाड़ी रन आउट होता तब मूड खराब कर मुस्कुराना भूल उसकी कमियां दोस्तों के गिनाते गोया हम जैसे उससे ज्यादा बेहतर खिलाड़ी हो ।
गृहणी आज मुस्कुराना भूल गई । टमाटर सब्जी से नदारद करना जो पड़ा । अरे जनाब रास्ते का टमाटर भाव जो खाने लगा । उसने भी सबक सिखाने की ठानी लो हम भी बिना टमाटर के सब्जी पकायेंगे सौ सुनार की एक लोहार की कहावत चरितार्थ कर दिया हमारी गृहणी ने ।अब टमाटर टुकुर-टुकुर ताकता है कैसे और कब रसोई में पहले की तरह राज करूं और गृहणी पहले की तरह खुशी-खुशी हर सब्जी को मेरे संग सजायें । पताल चटनी बिन चीला फरा ना सुहाये । बड़े चले थे भाव खाने टमाटर लो अब बाहर से आ रहा है ट ट ट टमाटर इसलिए कहते हैं जीवन में ज्यादा भाव खाओगे तो उसी भाव उतर भी जाओगे । बरसात रूकी बाढ़ खत्म फिर होती सड़क की सुंदरता देखने लायक । गड्ढे शिकार को ढ़ूंढ़ते फिरते देखो-देखो मैं कितना गहरा हूं आओ पास मेरे । यह तो थी गढ़्ढे के मुस्कुराने की वजह और हमारे दिल दुखाने की वजह । भला बतायें बड़े-बड़े सड़कों पर गढ़्ढे आम जनता के मुस्कुराने की वजह कैसे हो सकते हैं ।वह तो राजनीतिक लोगों का मामला है जो कहते हैं हम जीते तो हीरोइन के गाल माफिक चिकनी सड़क बनवायेंगे । उसमें छुपा होता है एक राज यदि नहीं जिताये तो रोते रहना और गढ्ढे की आरती कर मुस्कुराते रहना ।आपका टैक्स का पैसा दूसरे उड़ायेंगे । अभी टमाटर का हाल देख रहे हैं जनाब। कैसे टमाटर को आसमान की सैर करा रहे हैं । जब बात नहीं मानी तो टमाटर को पटकनी दे जमीन पर गिरा पिचकने मजबूर कर देंगे । फिर पिचके टमाटर देख लबों को चौड़ा कर मुस्कुराते हुए कहना ” गिर गये जनाब ।”
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