ग़ज़ल

4 years ago
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जानें किस चीज़ की कमी है अभी,
इन आँखों में क्यों नमी है अभी.
-संतोष झांझी

जानें किस चीज़ की कमी है अभी
इन आँखों में क्यों नमी है अभी

ये दस्तक दे रहा है कौन यहाँ
क्यों साँसें मेरी थमीं है अभी

जिसको आना है अब वो आ जाए
निगाहें द्वार पर जमीं है अभी

न जानें ढूंढते हो किसको यहाँ
कोई दूजा नहीं हमीं हैं अभी

इस हँसी से न कोई बहलेगा
थोड़ी उसमें छुपी गमी है अभी

कवयित्री संपर्क-
97703 36177

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