नवछंद विधान हिंदकी के संदर्भ मे- डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’, कोरबा-छत्तीसगढ़
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ये हिंदकी है
हिंद की पहचान है ये हिंदकी है
शिल्प में इसके गज़ब की सादगी है
दूर है भाषाओं की तकरार से यह
देश की जीवन सरित की बानगी है
मातराओं में मृदुलता भाव अद्भुत
लोकरंजन से जुड़ी इक बंदगी है
खोलती है ये सृजन के द्वार अनुपम
रूप- कविता, मूल धारा छंद की है
कोख में इसकी छिपी है काव्य मणिका
सौम्यता की प्रेयसी है,हमनशीं है
पीर है ,संत्रास है , नवरंग भी है
साधकों के वास्ते यह रागिनी है
संपर्क-
94241 41875