रचना आसपास : दुर्गाप्रसाद पारकर [भिलाई छत्तीसगढ़]
🌸 हमर सपना के छत्तीसगढ़
थूकेल
अपन बेटी ल पूछथे –
कस बेटी
भेट मुलाकात म कका करा
अपन सपना के छत्तीसगढ़
कइसे हो एला बताए,
सबो विश्वविद्यालय म
एम.ए. छत्तीसगढ़ी के पाठ्यक्रम
के शुरूवात होवय कहिके गोहराए ?
बेटी कथे – नही ददा
मोला माइक मिले के पहिली अधिकारी रोक दिस ,
छत्तीसगढ़ महतारी के
सपना ल मुरछेट दिस |
थूकेल ह
ओ अधिकारी करा जा के पूछीस-
कस साहब
काबर तँय ए प्रश्न ल पूछे बर
रोक देस ,
काबर छत्तीसगढ़िया युवा मन के
सपना ल मेट देस |
अधिकारी किहिस –
मोला मोर
उपर वाले अधिकारी रोक दिस,
मोला ए प्रश्न ल झन पुछवा
कहिके टोक दिस |
मय डर के मारे
मोर नौकरी चल दिही कहिके
तोर बेटी ल प्रश्न पुछे बर रोक देंव
नोनी के आँखी ले
सावन के झड़ी कस
आँसू निकलत रिहिसे
मोर हिम्मत नइ होइस कि
ओकर आँसू ल पोंछ दवं
थूकेल किहिस –
तोला पता नइ हे अधिकारी
तँय कतना बड़े पाप करे हस
छत्तीसगढ़ महतारी के
श्राप ले डरे हस
अधिकारी कथे-
तँय कइसे गोठियाथस
थूकेल कथे –
मँय बने गोठियावत हवं
तँय अपन
नौकरी बचाए के चक्कर म
हजारो छत्तीसगढ़िया युवा मन के
सपना ल खा डरे
छत्तीसगढ़ी के मान ल
बढ़ाए बर छोड़ के
गिराए हवस
का एह पाप नइ हरे ?
आज तो तोला छत्तीसगढ़ी बर
अपन नौकरी ल
बली चढ़ा देना रिहिसे ,
मोर बेटी ल
प्रश्न ल पूछे बर ओकर
हौसला ल बढ़ा देना रिहिसे |
सुनके अधिकारी
रोए बर धर लिस
अपन करनी के पश्चाताप
करे बर धर लिस
थूकेल किहिस –
अब रोए ले का होही
अब तँय अपन अँतस ले पूछ
का तोला
प्रायश्तित करे बर नइ परही
अब तिंही बता अधिकारी,
तोर आँसू ल पोछे बर
गमछा कोन धरही ?
कका कस दिलेर सियान
रेहे के बाद घलो
तुंहर मन कस
अधिकारी के राहत ले
हमर सपना के छत्तीसगढ़
सिरिफ सपना रही जही…….
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🌸 संगवारी
धनेष ह
अपन संगवारी होरी ल कथे –
तँय ह नेता के खास अस
मोर टूरा ल नौकरी लगवा दे,
अपन असीस ले मोर टूरा के
जीनगी ल संवार दे |
होरी कथे –
आजकल असीस ले
जीनगी नइ संवरे ,
थूके – थूक म बरा ह
कभू नइ चूरे |
कराही म तेल डारबे
त बरा चूर जही
नही ते देखते रही जही
धनेष ह एक एकड़ ल बिगाड़ के
अपन संगवारी ल दिस ,
होरी ह रुपिया ल पइस
ताहन मिटका दिस |
आजकल काहत – काहत
शासन बदलगे ,
नेता के खास ह
आस ले निकलगे |
धनेष ह पुछथे –
मोर टूरा ल नौकरी
कब लगाबे होरी
होरी कथे –
अब मोर करा नौकरी नइहे
ओकर बर मोर करा हवे सन डोरी
धनेष ह किहिस –
वाह रे दगाबाज
तोरे कस खास मन
नेता ल गिराथे,
चुनाव के बखत
अपन नेता ल हरवाथे |
अउ तहूं ह
अपन संगवारी ल ठगे हस ,
मोर रूपिया ल खाए म लगे हस |
संगवारी काला कथे
तेला
सुदामा अउ कृष्ण ले सीख
राम अउ सखा
गुहा निषाद राज के
इतिहास ल लिख
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