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ग़ज़ल -शुचि ‘भवि’, भिलाई-छत्तीसगढ़

4 years ago
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है इश्क़ फ़क़त तुमसे,फ़साने नहीं आते
सच बोलते हैं हमको बहाने नहीं आते

है इश्क़ फ़कत तुमसे, फ़साने नहीं आते
सच बोलते हैं हमको बहाने नहीं आते

जो रस्म निभाते हैं यहाँ प्रेम की झूठी
उनसे हमें भी रिश्ते निभाने नहीं आते

घायल किया था जिसने हमें पास बुला के
धोखे से मिले घाव दिखाने नहीं आते

नींदों को मेरी रोज़ चुराया था जिन्होंने
क्यों मुझको वही  सपने पुराने नहीं आते

जो संग तेरे गाये थे ‘भवि’ गीत सुहाने
क्यूँ याद हमें अब वो तराने नहीं आते

कवयित्री संपर्क-
98268 03394

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