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ग़ज़ल, रिश्ते नाते बहुमंजिले हैं सावधान! सब रेत के टीले हैं- परमेश्वर वैष्णव, भिलाई-छत्तीसगढ़

5 years ago
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रिश्ते नाते बहु मंजिलें हैं
सावधान ! सब रेत के टीले हैं

स्वार्थ, गुमान के तूफान में
कई बिछुड़े और कई मिले हैं

हरा भरा है प्रेम का पेड़,पर
मनमुटाव में कुछ पत्ते पीले हैं

झरना समझ करीब हुए हम
लहूलुहान होकर जाना पथरीले हैं

हम नाहक डर रहे थे नागों से
हमारे अपने भी कई जहरीले हैं

कवि संपर्क-
94255 57048

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