ग़ज़ल, संतोष झांझी- भिलाई-छत्तीसगढ़
4 years ago
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तुझसे रिश्ता कोई पुराना है
न ही कुछ खोना न ही पाना है
तुझसे रिश्ता कोई पुराना है
न ही कुछ खोना न ही पाना है
वो हवाएँ तो थम नहीं सकती
जिसमें खुशियों भरा तराना है
कंठ में सिसकियाँ हैं गीतो की
जिसने हर दर्द गुनगुनाना है
तीर साधा है जो शिकारी ने
मेरे दिल पर सधा निशाना है
तुम रूठे हो जब पता ही नही
जानें किस बात पे मनाना है
जो दगाबाज नयन छल के कभी
तुझको कुछ भी नही बताना है
कवयित्री संपर्क-
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