विशेष अवसर पर विशेष कविता – वर्षा ठाकुर
अतीत के पन्नों से
– वर्षा ठाकुर
[ प्राचार्य, शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, जुनवानी – भिलाई, जिला – दुर्ग, छत्तीसगढ़ ]
आश्रम में टहलते टहलते
बूढ़ी माई के कानों में गूंजे सोहर गीत
सुन सोहर गीत की आवाज
बूढ़ी माई अतीत में डूब चली
कितने वो कठिन दिन थे ??
जब दर दर मन्नत मांगते फिर रहे थे ,
हमारी सूनी गोद हो आबाद ।
वो सुख का दिन भी आया
इस सुख को पाने हमने
हंसते हँसते खूब दर्द सहे ।
अपनी गोदी में पाकर लाल
भूल गए हम सब मलाल ।
हमारा आँगन गूँजी किलकारियों से
बहुत जतन से हमने सींचे
हमारा सीना तन जाता
जब गूँजते हमारे कानों में
माँ बापू कह पुकारते
लिपट जाते हमसे ।
माँ मेरी बापू मेरे कह लड़ पड़ते
हम प्यार से समझाते
हम दोनों के माँ बापू है ।
समय की फेर देखो
आज बच्चे हुए जवान
हमें वृद्ध असहाय जान
माँ तेरी माँ तेरी कह
कर रहे हमारा अपमान ।
छोड़ दिए इस आश्रम में
कह गए अब तेरा घर यही ।
क्या इस दिन के लिए
जने हमने पूत
इससे तो अच्छा था
हम रहते निपूत ।
अतीत के पन्नों से
बूढ़ी माई की आँखे
फिर हो गयी नम ।
शुरू हो गयी,
खतम न होने वाले गम ।
संपर्क : 79748 76740
🤝🤝🤝🤝🤝