कविता, कमियां हैं तो खूबियां भी होंगी- अंजली शर्मा, बिलासपुर (छ.ग.)
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*कमियाँ हैं तो खूबियाँ भी होंगी*
” कमियाँ न गिना ऐ मुसाफिर,
कमियाँ हैं तो कुछ खूबियाँ भी होंगी।
खूबियाँ हैं तो कुछ कमियाँ भी होंगी।
राहों में कुछ फूल खिलेंगे,
कुछ तो काँटे भी मिलेंगे।
कुछ हौसला बढ़ायेंगे,
कुछ मन ही मन जलेंगे।
माना कि गम बहुत है पर,
खुशियाँ लुटाता चल।
भीगी हों पलकें फिर भी,
लबों से गुनगुनाता चल।
हारना नही, थकना नहीं,
मोड़ कोई हो रुकना नहीं।
बस चलता चल-बस चलता चल,
जहाँ कमियाँ है कुछ खूबियाँ मिलेंगी,
जहाँ खूबियाँ हैं कुछ कमियाँ मिलेंगी |