विशेष अवसर पर रचना : पिछले साल किसे मारा था ? – अरुण कुमार निगम [दुर्ग छत्तीसगढ़]
पिछले साल किसे मारा था ❓
फिर रावण को मार रहे हो !
पिछले साल किसे मारा था ?
देख सको तो देखो अब भी,
कितने रावण घूम रहे हैं।
धन-सत्ता की मदिरा पीकर,
अपने मद में झूम रहे हैं।।
अब भी रावण जीवित है तो
तुमने किसको संहारा था ?
फिर रावण को मार रहे हो !
पिछले साल किसे मारा था ?
विजयादशमी आई जब-जब
ऊँचे पुतले खूब बनाए।
बुला-बुला कर बड़ी हस्तियाँ
आतिशबाजी खूब जलाए।।
पुतले जल कर खाक हो गए,
क्या रावण सचमुच हारा था ?
फिर रावण को मार रहे हो !
पिछले साल किसे मारा था ?
लछमन-भरत सरीखे त्यागी
कहाँ दिखाई देते भाई।
रावण ही रावण दिखते हैं
राम नहीं देते दिखलाई ।
बाद मृत्यु के क्या रावण ने
फिर से तुमको ललकारा था?
फिर रावण को मार रहे हो !
पिछले साल किसे मारा था ?
कन्याएँ तक नहीं सुरक्षित
महिलाओं की बात ही छोड़ो।
मार सको तो पत्थर लेकर
इन दुष्टों का माथा फोड़ो।।
लेकिन वह रावण था ज्ञानी
प्रभु ने भी तो स्वीकारा था
फिर रावण को मार रहे हो !
पिछले साल किसे मारा था ?
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