प्रेमानुभूति- किशोर कुमार तिवारी
4 years ago
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तेरी चाहत की खुशबू का एहसास है
मैं यहाँ हूँ मगर दिल तेरे पास है
तेरी चाहत की खुशबू का एहसास है ।
मैं यहाँ हूँ मगर दिल तेरे पास है ।।
फूल होंगे नहीं जो किसी बाग में
तो बहारों को आखिर सजाएगा कौन
भँवरे होंगे नहीं तो जरा सोचिए
कलियों के कानों में गुनगुनाएगा कौन
प्रीत की रीत बिल्कुल नहीं टूटती
सिर्फ आशा नहीं पूर्ण विश्वास है । 1 ।
आग नफरत की चारों तरफ है लगी
ऐसे में तेरे मन में है चाहत जगी
मर चुकी है जमाने की संवेदना
प्रीत के साथ होने लगी दिल्लगी
प्रीत ही आदमियत की पहचान है
इसके कारण ही जीवन में उल्लास है । 2 ।
“【 कवि किशोर तिवारी राष्ट्रीय मंचों के लोकप्रिय कवि हैं औऱ ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के नियमित पाठक एवं शुभचिन्तक हैं 】
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