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कविता, ऐसे मनाएं दीवाली -ओमप्रकाश साहू ‘अंकुर’, राजनांदगांव-छत्तीसगढ़

4 years ago
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ऐसे मनाएं दीवाली

सूरज घोले ऐसी लाली,
न आएं कभी रात काली.
न हो किसी को गम,
सबके जीवन में हो खुशहाली.
आओ ऐसे मनाएं दीवाली…….

संस्कृति को रखे संजो कर,

सजा ले आरती की थाली.
न रहें वातावरण पतझड़ सम,
चहुं ओर छाई हो हरियाली.
आओ ऐसे मनाएं दीवाली…….

न उजाड़े सपनों के बाग को,
ऐसे हो हमारे माली.
हो भाई- चारा का माहौल,
न देवें एक दूसरे को गाली.
आओ ऐसे मनाएं दीवाली……

न सोएं कोई भूखे पेट,
हर किसी को मिलें भर पेट थाली.
गरीब के घर में भी जले दीयें,
न हो उनकी जेब खाली.
आओ ऐसे मनाएं दीवाली……

सलाम करें अन्नदाताओं और वीर जवानों को,
जिनके कारण है हमारी जिंदगी में खुशहाली.
बुजुर्ग न पड़े रहें उदास किसी कोने में,
उनकी भी भर देवें खुशियों की झोली.
आओं ऐसे मनाएं दीवाली…….

*कवि ओमप्रकाश साहू ‘अंकुर’ मंचों में लोकप्रिय हैं, कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े हैं,
‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के लिए उनकी ये पहली रचना है*

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