बचपन -डॉ. बलदाऊ राम साहू
4 years ago
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नन्हे – नन्हे बच्चे सारे
आसमान के लगते तारे।
मन के होते भोले -भाले
पर मस्ती में बड़े निराले।
कोमल होता है इनका मन
जैसे होता रिमझिम सावन।
कुछ कहते जाने-अनजाने
पर बुनते हैं ताने – बाने।
अतिसुंदर लगता है बचपन
जैसे फूल खिले हों आँगन।
● छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा आयोग के पूर्व सचिव,देश के सुप्रसिद्ध बाल रचनाकार डॉ. बलदाऊ राम साहू ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ संपादकीय टीम में बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर के सदस्य हैं.
●’छत्तीसगढ़ आसपास वेब पोर्टल’ में डॉ. बलदाऊ राम साहू की बच्चों की बाल कविता ‘बचपन आसपास’ के नाम से हमारे पाठकों के लिए नियमित प्रकाशित होते रहेगी
●संपादक