• poetry
  • बचपन -डॉ. बलदाऊ राम साहू

बचपन -डॉ. बलदाऊ राम साहू

5 years ago
227

नन्हे – नन्हे बच्चे सारे
आसमान के लगते तारे।

मन के होते भोले -भाले
पर मस्ती में बड़े निराले।

कोमल होता है इनका मन
जैसे होता रिमझिम सावन।

कुछ कहते जाने-अनजाने
पर बुनते हैं ताने – बाने।

अतिसुंदर लगता है बचपन
जैसे फूल खिले हों आँगन।

● छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा आयोग के पूर्व सचिव,देश के सुप्रसिद्ध बाल रचनाकार डॉ. बलदाऊ राम साहू ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ संपादकीय टीम में बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर के सदस्य हैं.
●’छत्तीसगढ़ आसपास वेब पोर्टल’ में डॉ. बलदाऊ राम साहू की बच्चों की बाल कविता ‘बचपन आसपास’ के नाम से हमारे पाठकों के लिए नियमित प्रकाशित होते रहेगी
●संपादक

विज्ञापन (Advertisement)

ब्रेकिंग न्यूज़

कविता

कहानी

लेख

राजनीति न्यूज़