गीत, आज़ तिमिर फ़िर हारा- अमित सिंगारपुरिया, भाटापारा-छत्तीसगढ़
दीप जले जब जगमग-जगमग, ज्योतिर्मय उजियारा।
मिट्टी के नन्हे दीपक से, आज तिमिर फिर हारा।।
अंधकार में अनुपम आभा, सुंदर सपन सलोना।
बाहर भीतर ऊपर नीचे, घर का कोना-कोना।।
सदन सजाया चौंक पुराया, हर आँगन रंगोली।
दौड़ लगाती मौज उड़ाती, बच्चों की अब टोली।।
दीपमालिका चमक बिखेरे, बरामदा गलियारा।
दीप जले जब जगमग-जगमग, ज्योतिर्मय उजियारा।।-1
बम अनार अरु टिकली चकरी, हाथ लिए फुलझड़ियाँ।
धूम धड़ाका करते रहती, सौ हजार की लड़ियाँ।।
नये-नये उपहार सभी को, दीप दिवाली भाती।
साफ सफाई निहित भलाई, मन में अलख जगाती।।
मस्त मगन हैं सब त्यौहारी, एक न देखनहारा।
दीप जले जब जगमग-जगमग, ज्योतिर्मय उजियारा।।-2
भाँति-भाँति पकवान मिठाई, बँटता खील बताशा।
द्वेष दलें जब अंतर्मन का, पूरित सभी सुखाशा।।
स्नेह संपदा सम्मति समता, यही जीव कस्तूरी।
बढ़े अनाथों से अपनापन, मिटे अमित सब दूरी।।
संवेदना दया करुणामय, बहे प्रेम की धारा।
दीप जले जब जगमग-जगमग, ज्योतिर्मय उजियारा।।-3
मिट्टी के नन्हे दीपक से, आज तिमिर फिर हारा।।
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