इस माह के कवि : प्रकाशचंद्र मण्डल
▪️ कवि प्रकाशचंद्र मण्डल
[ •इस माह के कवि प्रकाशचंद्र मण्डल. •हिंदी- बांग्ला के चर्चित कवि व नाट्यकार प्रकाशचंद्र मण्डल के एक हिंदी काव्य संग्रह ‘ शब्दों की खोज में ‘ और तीन बांग्ला कविता संग्रह ‘ तुमी ऐले ताई ‘, ‘ एक फाली रोदुर ‘ एवं ‘ आमाके उन्मुक्त करो ‘ प्रकाशित हो चुकी है. •विश्व बांग्ला साहित्यिक मंचों पर अनेकों बार सम्मानित हो चुके प्रकाशचंद्र मण्डल ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ के संपादक मंडल के सदस्य हैं और ‘ बंगीय साहित्य संस्था ‘ व ‘ मुक्तकंठ साहित्य समिति ‘ के सक्रिय सदस्य भी हैं.
-संपर्क : 94255 75471 ]
▪️ कवि प्रकाशचंद्र मण्डल
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नारी की वेदना
सहज सरल नारी हृदय
जैसे गिली मिट्टी की बनी हो
किन्तु सहजता से टुटती नहीं है
समाज में वह एक
वटवृक्ष की भांति
खड़ी रहती है ।
कितने हवाओं के झोंके
आंधी -तूफान -बारिश
उन्हे सहन करने पड़ते हैं
फिर भी वह अटल अडिग
बह ले चले हैं निरन्तर
कर्मों की धारा
प्रेम की प्रतिमूर्ति है नारी
जैसे मिट्टी से बने कलश
उसमें भरा शीतल जल
सबका तृष्णा मिटाता है
उसी तरह नारी अपना
सब कुछ निचोड़ कर
समाज की प्यासों के
प्यास बुझाती है
फिर भी कहीं एक शुन्यता
रह जाती है-
कहीं कुछ कमी रह जाती है
जिसके कारण नारी प्रताड़ित होती है,
नारी वंचित होती है
समाज के सभ्य जनों से,
पर नारी कभी हार नहीं मानती
हार मानना वह कभी सिखी नहीं
अडिग होकर खड़ी रहती है
हर पल-
आने वाली पीढ़ियों के लिए
क्योंकि वही पीढ़ियां ही होगी
आने वाले दिनों के भविष्य।
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जागो मेरे बेटियों जागो
जागो उठो जागो उठो
चुप क्यों हो तुम
जाग जाओ मेरे देश के बेटियों
क्यों धरे हो मौन
चारों ओर है अंधियारा देखो
घनघोर बादल छाया देखो
तुम पर पढ़ते बाज देखो
तार तार होते इंसानियत देखो
मानवता का हुआ शर्मसार देखो
कब तक रहोगे तुम धरे मौन
इन दरिंदों से तुम्हें बचाएगा कौन ?
हर कदम पर घूमते दरिंदे
भेड़ियों के वेश में छिपा है गुंडे ,
हवस मिटाने चीर हरते
कोई नहीं है इन्हें रोकते
अपना ढाल अब तुम बनो
बनकर लक्ष्मीबाई तलवार तानो
काट डालो इन वहशियों को
कर डालो इन्हें पौरुषहीन,
दौड़ा-दौड़ा कर इन हैवानों को
क्रुशिए पर इनको टांगो
जागो जागो मेरे देश के बेटियों
क्यों धरे हो तुम मौन
तुम ही तुम को बचाओ बेटियों
वरना तुम्हें बचाएगा कौन ?
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भारत महान
सुना था
कोशिश करने वालों की
कभी हार नहीं होती
इसलिए तीसरी कोशिश
हमारी कबूल हुई
हर कोशिश के बाद
जीत हमारी हुई ।
सीना तान के चले हैं
चंद्रयान-3
नाम जिसका है प्रज्ञान ,रोवर
हुआ जिसका चांद मामा में
सकुशल पदार्पण ।
मां भारती का हाल पूछा
गदगद होकर मामा
बता मेरी बहना कैसी
उनका हाल तो कुछ बता ?
कमाल किया इसरो ने
दिखाई पूरा दम
विश्व पटल में नाम हमारा
दुश्मन हुआ बेदम
अरे झंडे में चांद उकेरना
तो आम बात हो गई
हम तो पूरे के पूरे झंडा ही
चांद पर लहरा के आई
चारों ओर है जय जय कार
भारत हुआ महान
अब तो बस थोड़ा बाकी है
मिलना विश्व गुरु का सम्मान ।
जय भारत जय भारत
भारत है महान
भारत के लिए है कुर्बान
मेरे यह दिल और जान।
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