बाल कविता, जंगल जाएँ -बलदाऊ राम साहू
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नाचे कुत्ता बिल्ली आकर
गीत सुनाएँ कोयल गाकर।
उधम मचाए बंदर भैया
भोली- भाली धौरी गैया।
बड़े अनोखे भालू भैया
गदहे जी हैं बड़े गवैया।
काँव-काँव कौआ चिल्लाया
उसने छोटा गीत सुनाया।
तोता – मैना औ’ गौरैया
गाए सोरठा औ’ सवैया।
डगमग-डगमग हाथी आया
सियारों ने शोर मचाया।
मोर -मोरनी आए सजकर
रंग लाए पंखों में भरकर।
दौड़ी – दौड़ी हिरनी आई
उसने आकर कथा सुनाई।
चिकना सुंदर जेब्रा आया
हँसा-हँसा कर पेट फुलाया।
तभी अंत में शेरू आया
आकर सबका मान बढ़ाया।
चलो आज हम जंगल जाएँ
कुछ कर के हम भी दिखलाएँ।
बाल कवि के रूप में प्रसिद्ध बलदाऊ राम साहू ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ संपादकीय बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर के सदस्य हैं