नववर्ष विशेष : तारकनाथ चौधुरी
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स्वागत है! नववर्ष तुम्हारा
– तारकनाथ चौधुरी
[ चरोदा भिलाई, छत्तीसगढ़ ]
कितना भी हो दर्द विगत का संचित फिर भी, वर्ष नये के स्वागत को मन होता बेकल ।
बदलेगा हर दृश्य पुराने दिन बदलेंगे। नव संकल्पों से जीने को मन होता चंचल।। वर्ष नये के स्वागत को मन होता बेकल…….
वही दिशा और उसी क्षितिज पर उषा दिखेगी। और दिनों की तरह आज की प्रात सजेगी ।। किन्तु पृथक होगा जिसका भी चिंतन कल से, निश्चित है नववर्ष में उसकी दुनिया बदलेगी ।।
लेकर शत नये शपथ ओ साथी तू बढ़े चल, वर्ष नये के स्वागत को मन होता बेकल……
कहाँ अमावस रही उम्र भर भला कहो तुम ?
चन्द्र पूर्णिमा का चमकेगा धैर्य रखो तुम ।
छटेंगे दुःख के बादल अनिल होगा परिवर्तित, कोलाहल है तुमुल हृदय की बात सुनो तुम ।
परिवर्तन है नियम प्रकृति का सत्य अटल, वर्ष नये के स्वागत को मन होता बेकल…
अभिलाषा का पात्र जो रीता रहा विगत में, सुख से भर जाये जगत-धन आये सिमट के । है शुभकामना ” तारक” की सभी प्रियजन हित, हर्ष-आस-विश्वास-त्रिवेणी बसे हृदय में ।। पथ भूले के भाग्य-सितारा रहे समुज्ज्वल,
वर्ष नये के स्वागत को मन होता बेकल ।।
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