गीत, सूरज नया उगाना है- बलदाऊ राम साहू
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सूरज नया उगाना है
नया युग है सूरज हमको
नया उगाना है
पथ से जो भटके हैं राही
राह दिखाना है ।
आराम नहीं प्रतिपल हमको
चलते रहना है
गहन अंधेरा है, दीपों-सा
जलते रहना है
खोने को कुछ भी नहीं है
केवल पाना है।
सुख-दुख की घड़ियों में आँखें
नम हो जाती हैं
भीतर में जो बर्फ जमी है
गल-गल जाती है।
मन के भीतर भाव नया अब
हमें जगाना है ।
आएँगे अब लोग साथ में
आगे बढ़ने को
जो भी अब अनगढ़ी वस्तु हैं
उनको गढ़ने को
मेहनत करके इस जीवन को
नया बनाना है।
●कवि संपर्क-
●94076 50458