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ददरिया -डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’, कोरबा-छत्तीसगढ़

4 years ago
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● आबे बिहनिया खवाहूँ बासी
मोर मन के मँजूर तँय बारामासी

● ए फूलबासन जोहार ले ले
पिरीत दे दे अपन अउ पियार ले ले

● नाचत रइथे आँखी के पुतरी
बाँध लेही मुहचारी मया के सुँतरी

● रहि रहि मोला आवत हे हाँसी
परान लेही टूरा के जूड़ खाँसी

● पटौंहा मा धरे हावे गुढ़वा
जिनगी कइसे कटही धनी हे बुढ़वा

● घिसे गुड़ाखू अउ खाय मुरकू
तोर भाटो के बहिनी हावे टरकू

● चूँदी मा गाथे हावय फुँदरी
मोर जी ला जरावत हे सोन लुँदरी

● अब्बड़ रिसाथे हावय रोनही
अपन बस मा करे हे मोला टोनही

● नंदिया तीर मा भुलाय मुँदरी
घेरी बेरी लजाय टूरी बेंदरी

● सुघ्घर चेहरा हे रातरानी
रोज़ जाथे अकारन भरे ला पानी

● मोर बर लाबे तँय रमकेरिया
मेंहूँ लाय हँव तोर बर एकतरिया

● नोनी के दाई के हदरासी
रोक पावँव नइ मोला आवय हाँसी

● आड़ मा ठाढ़े हावय बोकरी
सोझ झिन आबे मिलही सासडोकरी

● मोला मोहा डारे हटियारिन
बन जाते कोनोदिन मोर बनिहारिन

●कवि संपर्क-
●94241 41875

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