बाल गीत : दुर्गा प्रसाद पारकर [ भिलाई छत्तीसगढ़ ]
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चना होरा
हरियर हरियर दिखय खेत खार ह
फर म झूले रहिथे चना के डार ह
गदेली चना ल हम्मन भूंजथन
इही ल हम्मन चना होरा कहिथन
चना होरा सब ल बिक्कट सुहाथे
खाए के बखत मुंह हाथ करियाथे
सब झिन मिल के चना होरा खाहू
होरा नइ खाहू ते बिक्कट पछताहू
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बटकर
लाख के फर ह पोक्काथे
टोर टोर के घर म सब लाथे
घर म लानके फर ल नीछथे
फर नीछे ले बीजा निकलथे
इही बीजा ह बटकर कहाथे
भाटा संग बटकर गजब सुहाथे
बटकर के रहिथे सब ल अगोरा
बटकर ह खावन भाथे मोला
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जाड़
हु हु जाड़ ह आ गे
हाथ गोड़ ह कांपन लागे
भूर्री म हाथ ल सेकन लागे
कथरी ल सब ओढ़न लागे
मुड़ी म कनटोपा पहिरय
सुड़ुक सुड़ुक नाक ह करय
बादर म भारी कोहरा ह छाथे
जाड़ बढइया हे कहिके चेताथे
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बिहनिया
होवत बिहनिया सुरूज उए
चिरई चिरगुन चींव चींव करे
चारो कोती होवय अँजोर
चहल पहल करे गली खोर
गरूवा मन खइरखा म आवय
पनिहारिन मन ह पानी लावय
सब झिन बूता म भीड़ जाथे
मेहनत करके पसीना चुचवाथे
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