बाल गीत : दुर्गा प्रसाद पारकर
▪️ दुर्गा प्रसाद पारकर
▪️
अकसी
अकसी बर लम्हरी पातर लकड़ी धर ले
नानकुन लकड़ी बांधके कोकानी कर ले
कोकानी करे के बाद अकसी बन जथे
जाम टोरे बर अब सुग्घर जुगाड़ बन जथे
जाम बगीच्चा चरिहा अकसी धर के जा
अकसी म टोर टोर के ओली म धरत जा
ओली के जाम ल हेर हेर के चरिहा म जोर
तइयार होगे हाट बाजार बर अब बोझा तोर
▪️
गोरसी
माटी ल सान के गोरसी बना ले
गोरसी म तैं छेना ला सिपचा ले
छेना सिपचही ताहन जाड़ भगा ले
रांधे बर बटलोही म तैं दार मड़ा ले
गोरसी म अंगाकर रोटी ल सेक ले
बिक्कट सुहाथे घी चूपरके देख ले
लइका ल सेक ले गोरसी के अंगरा म
तेल चुपर दे लइका ल इही संघरा म
▪️
पोतनी
घर दुवार ल सुग्घर दिखे बर
पोतनी ले घर दुवार लीपे बर
जुन्ना कपड़ा ल तैं चीर चीर के
पोतनी बना ले तैंह तीर तीर के
कंदे के बाद तैंआगी म डार दे
भरभर भरभर आगी म बार दे
बरे के बाद वोह राख बन जथे
राख म मिल के खातू बन जथे
▪️
बसंत
परसा फूलगे हे लाली लाली
बसंत के हो गे हे शुरूआती
कोइली मन ह कुहकन लागे
रूख राई मन ह नाचन लागे
सुरूर सुरूर चलत पुरवाही
बसंत के सुग्घर गीत सुनाही
सरस्वती माता के पूजा करबोन
पूजा करके सब असीस पाबोन
▪️
तुतारी
निंधा बांस म खिला गड़िया गड़ियाथे
इही ह नंगरिहा मन बर तुतारी कहाथे
त त ओ हो बइला मन ल जनवा लेे
जेती मुड़कना हे त ओती ल बता दे
ढेरियाये बर धरही ताहन तुतारी लगा
तुतारी कोच के बइला मनके चाल बढ़ा
कते डाहर रेंगना हे तेला तुतारी बताथे
एती ओती रे़गिस ताहन तुतारी लगाथे
•••••
•संपर्क-
•79995 16642
🟥🟥🟥🟥🟥🟥