• poetry
  • कविता आसपास : गोविंद पाल

कविता आसपास : गोविंद पाल

1 year ago
249

▪️
चीख
– गोविंद पाल
[ भिलाई, जिला-दुर्ग, छत्तीसगढ़ ]

चीखो!
तुम भी चीखो!
यहां तो सभी अपने अपने दायरे में
अपनी अपनी चीखें चीख रहे हैं
न जाने कितने तरह की चीखें है यहां
भाषणों की चीख
शासनों की चीख,
स्वार्थ की चीख
व्यर्थ की चीख
गरीबों की चीख
रोटी की चीख
शोषण की चीख
राशन की चीख
आघातों की चीख
व्याघातों की चीख
आत्माओं की चीख
तकलीफों की चीख
दर्दनाक चीख
शर्मनाक चीख
गमों की चीख
बमों की चीख
नेताओं की चीख
वोटों की चीख
पुंजीपतियों की चीख
नोटों की चीख
मजदूरों की चीख
मजूरी की चीख
चमचों की चीख
जी हुजूरी की चीख
गुंडे मवालियों की चीख
शक्ति की चीख
पत्रकार कलमकारों की चीख
अभिव्यक्ति की चीख
धर्मों की चीख
भक्ति की चीख
इसके अलावा
औद्योगिक चीख
मशीनों की चीख
यान वाहनों की चीख
प्रदूषणों की चीख
हर तरफ सिर्फ चीख ही चीख
अब बोलो!
तुम्हारी चीख
कौनसी चीख में शामिल है?
चीखो तुम भी चीखो
चीखने के लिए
यहां सभी आजाद है
कोई नहीं रोकेगा
कोई नहीं टोकेगा
पर किसे सुनाओगे तुम
अपनी चीख!
यहां तो सभी
अपने अपने मतलब की चीख
चीख रहे हैं
अगर तुम्हारी भी एक चीख
उन असंख्य चीखों में
शामिल हो जाय
तो उससे क्या फर्क पड़ेगा?

• संपर्क-
• 75871 68903

▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️

विज्ञापन (Advertisement)

ब्रेकिंग न्यूज़

कविता

कहानी

लेख

राजनीति न्यूज़