विश्व जल दिवस पर विशेष : गोविंद पाल
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जल गीत
– गोविंद पाल
[ भिलाई,जिला-दुर्ग, छत्तीसगढ़ ]
कुएं, तालाब, झील और
धरती के अंदर है पानी,
नदी, नाले पोखर और
समंदर में है पानी।
पानी अपना जीवन है
पानी से ही हम जीते हैं,
पेड़ – पौधे या पशु पक्षी हो
हम सब इसे पीते हैं।
कोई कहता है इसको पानी
तो कोई कहता है इसे जल,
नहीं चल सकता है जीवन
इसके बिना एक पल।
गर्मी से हमें राहत दिलाये
प्यास हमारी बुझाता है,
स्वस्थ्य व निरोग रहने में
पानी ही काम आता है।
चाहे खाना हो पकाना
या करना हो खेती किसानी,
उद्योग या कारखाना हो
काम आता है सबमें पानी।
हर जरूरत हमारी पूरी करे
ऐसा अनमोल है पानी,
इसे यूं न व्यर्थ बहाव
कहता है हर ज्ञानी।
आओ आज हम सबको
पानी का महत्व बतलायें,
वर्तमान और भविष्य के लिए
बूँद – बूँद कर इसे बचायें।
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