






माता कर्मा जयंती विशेष : डॉ. दीक्षा चौबे

माँ कर्मा
– डॉ. दीक्षा चौबे
[ दुर्ग छत्तीसगढ़ ]
जन्म एकादशी हुआ , पापमोचिनी नाम ।
कर्मा माता को करें , भक्त सभी प्रणाम ।।
माँ कर्मा का उन्नत माथा ।
जन-जन गाएँ गौरव-गाथा ।।
त्याग समर्पण की वह देवी ।
भक्ति भाव दुखियों की सेवी ।। 01 ।।
चैत्र कृष्ण एकादशी , झाँसी नगर महान ।
पिता राम के स्नेह में , पली बढ़ी संतान ।।
कर्मा धर्मा थीं दो बहनें ।
धर्मपरायणता क्या कहने ।।
बाल्यकाल से सुने कहानी ।
जुड़ी कृष्ण से वह अनजानी ।। 02 ।।
नरवर गढ़ में वास था , पद्मा किए विवाह ।
पतिसेवा करतीं रहीं , हृदय भक्ति की चाह ।।
पूजा पाठ ध्यान ही धरतीं ।
दिन भर कृष्ण भजन ही करतीं ।।
दैनिक काज सभी निपटातीं ।
सामाजिक दायित्व निभातीं ।। 03 ।।
शिक्षा मिलती मात से , बनें रहें निर्भीक ।
राष्ट्रप्रेम की भावना , मन में रहे सटीक ।।
दयाभावना त्याग समर्पण ।
तन-मन-धन दुखियों को अर्पण ।।
सुख दुख सब मन से स्वीकारा ।
आत्मा का बल कभी न हारा ।। 04 ।।
विवश हुए ईश्वर सदा , सदा भक्ति के हाथ ।
कर्मा की पुकार सुनी , स्वयं विराजे नाथ ।।
जगन्नाथपुर माता आई ।
बालक बन आए कन्हाई ।।
खिचड़ी का तब भोग लगाया ।
गोद बिठाकर उन्हें खिलाया ।। 05 ।।
डरो नहीं संघर्ष से , करना है पुरुषार्थ ।
सेवा करना दीन की , मनुज धर्म परमार्थ ।।
पत्थर की भी फटती छाती ।
माता जब आवाज लगाती ।।
बाल कृष्ण की सुंदर लीला ।
आनंदित होती अनुशीला ।। 06 ।।
माता कर्मा सीख दे , सहना मत अन्याय ।
साहस संयम आत्मबल , प्रथम विजय अध्याय ।।
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