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कविता, कौन लिखता है कविता -विक्रम ‘अपना’, नंदिनी-अहिवारा

4 years ago
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जिसके नन्हे दिल के भीतर
निर्झर, झरता झरना है

हेतु रखता, जो जन-मन पर
मानवता को रंगना है

शिल्पी है तो, पाहन छूकर
निश्चित देव प्रकटना है

वरद हस्त, माँ का है गर उर
तो शब्द- ब्रह्म जन्मना है

छू लेगा वो, जग को भीतर
मन को देव समझना है

लिखे उर, झूमे पी रस भ्रमर
ब्रह्म कमल का खिलना है

●कवि संपर्क-
●98278-96801

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