कविता, कौन लिखता है कविता -विक्रम ‘अपना’, नंदिनी-अहिवारा
4 years ago
239
0
जिसके नन्हे दिल के भीतर
निर्झर, झरता झरना है
हेतु रखता, जो जन-मन पर
मानवता को रंगना है
शिल्पी है तो, पाहन छूकर
निश्चित देव प्रकटना है
वरद हस्त, माँ का है गर उर
तो शब्द- ब्रह्म जन्मना है
छू लेगा वो, जग को भीतर
मन को देव समझना है
लिखे उर, झूमे पी रस भ्रमर
ब्रह्म कमल का खिलना है
●कवि संपर्क-
●98278-96801