






कविता आसपास : पल्लव चटर्जी
11 months ago
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• पल्लव चटर्जी
समस्याएं खत्म नहीं होती
जनता सब जानती है कि
समस्याएं कभी खत्म नहीं होंगी
फिर भी चुनाव आते ही
नेता अलग-अलग समाधान बांटते हैं।
चुनावी पहेली सुलझाने में नेताजी
जनता दरबार में पहुंचते हैं दिग्गजों को साथ लिए
न्याय पाने की/
गारंटी फॉर्म भरवाते हैं.
लक्ष्य,
अर्जुन की तरह
सिर्फ और सिर्फ,
संसदीय परिसर में प्रवेश करना.
०००
मतदान
तुम्हारे-मेरे सर पर
एक ही अम्बर
तुम्हारी-मेरी साँसों में
एक ही हवा
एक ही रंग है
हमारी रगों के गर्म लहू का
तो क्यों न हमारा दल एक हो,
हमारा धर्म एक हो,
हमारी पहचान एक हो,
हमारा निशान एक हो?
आओ बंधुओं
बुद्धिजीवी बनें
तर्कों के बाण लिए फिरने वाला
विद्वान न बनें
शक्तिशाली राष्ट्र गढ़ने के लिए
मतदान करें!
• संपर्क –
• 810 930 3936
०००
chhattisgarhaaspaas
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