• poetry
  • कविता आसपास : विद्या गुप्ता

कविता आसपास : विद्या गुप्ता

11 months ago
240

👉 विद्या गुप्ता

• आवाजों के चेहरे
– विद्या गुप्ता
[ दुर्ग : छत्तीसगढ़ ]

आवाज शोर हो जाती है
यदि कुछ कह नहीं पाती
छू नहीं पाती मन को

आवाज
रक्षक बन जाती है
यदि कहती है
जागते रहो…..!! जागते रहो
आवाज
मंत्र बन जाती है जब
उतर जाती है मन में

नर्म आवाज़
सहानुभूति में घुल कर
थपकने लगती है पीठ
मित्र की तरह …..!!
लोरी में घुल कर
मां बन जाती है आवाज़

होठों पर ठिठकी आवाज
अनकही अधूरी बात
रहस्य बन खड़ी हो जाती है
अंधेरे के पास

कानों में उतर गई
शीशे की तरह….!!
मन पर खिंच गई
पत्थर की रेखा हो गई
नफरत से भरी हुई
आवाज

मैं हूं ना…
आवाज ईश्वर बन गई

[ • विद्या गुप्ता देश की चर्चित रचनाकार हैं, जो गद्य व पद्य दोनों विधाओं में सिद्धहस्त हैं. • देश की तमाम साहित्य की पत्रिकाओं में निरंतर छप रही हैं. •’छत्तीसगढ़ आसपास’ में विद्या गुप्ता की रचनाएँ यदा-कदा प्रकाशित होते रहती है.- संपादक ]

०००

विज्ञापन (Advertisement)

ब्रेकिंग न्यूज़

कविता

कहानी

लेख

राजनीति न्यूज़