






कविता आसपास : श्रीमती सोमाली शर्मा
सोमाली शर्मा
• प्रेम का स्पर्श
– सोमाली शर्मा
[ भिलाई, जिला- दुर्ग, छत्तीसगढ़ ]
कैसे हो प्रेम?
जानने की
बड़ी इच्छा है.
आज भी क्या वैसे ही हो
जैसे थे तीस बरस पहले?
पुरानी स्मृतियाँ बार-बार
लौट आती हैं मन में और खेलती हैं देर तलक
अपनी धुन में…..
किशोर वय की देहरी पार कर
जब क़दम रखा यौवन पथ पर
कम्पित हो उठा हृदय एक अनजान छुअन से।
तुम्हें याद होगा-
उस दिन तेज़ बुखार था मुझे
मेरे तप्त कपाल पर
जब तुमने अपना हाथ रखा-
मैं सिहर उठी थी..
जैसे कोई तडि़त शिराओं से
होकर गुज़र गया
तुम्हारा वो पहला स्पर्श
खोल गया था मेरा हृदय-पट
और एक अनिर्वचनीय अनुभूति
कहीं भीतर चुपके से बैठ गई थी
दक्षिणा हवा में साँस लेती क्रमशः वो प्रेम का रुप धरना लगी
तुम्हारे प्रथम स्पर्श का सुख
इतने सालों बाद भी मुझे
उस दिन की तरह ही रोमांचित करता है
तभी तो लिख पा रही हूँ आज भी
ऋतु वसंत की कविता
प्रतीक्षा के गीत और
जानना चाहते हूँ-
कैसे हो तुम प्रेम?
[ • सोमाली शर्मा बांग्ला की सुप्रसिद्ध कवयित्री है. बांग्ला में इनकी काव्य संग्रह प्रकाशित हुई है. • ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ में इनकी पहली कविता हिंदी में प्रकाशित की जा रही है.- संपादक ]
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