






विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष रचना : तारकनाथ चौधुरी

10 months ago
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• समय शेष होने से पहले
– तारकनाथ चौधुरी
{ चरोदा, भिलाई, छत्तीसगढ़ }
अब भी शेष है गाँव में मेरे
शीतल छाया का आवरण।
शहरी प्रदूषण छू नहीं पाया
तभी सुरक्षित पर्यावरण।।
1/ मैं शहरी-शिक्षित जब देखूँ
अनपढ़-उद्यमी कृषकों को
करते जतन अभिभावक सा
मेडो़ं के नन्हें पादपों को
लज्जित होता सोच-सोच
शहरों का कलुषित आचरण।।
नहीं सुरक्षित पर्यावरण…
2/ अंधाधुंध कटाई वनों की
उद्योगों का विस्तार सतत्
धुआँ उडा़ते कल कारखाने
और दौड़ते वाहन सरपट
किये जा रहे अविराम ये
प्रकृति को विकृत निराभरण।।
नहीं सुरक्षित पर्यावरण…
3/ दुर्बल हुई ओजोन परत और
सर-सरिता बीमार हो गये
बडे़ पहट जगाने वाले
गौरये सब कहाँ खो गये
समय शेष होने से पहले
करिए जल-थल-नभ का संधारण।।
नहीं सुरक्षित पर्यावरण….
• संपर्क-
• 83494 08210
०००
chhattisgarhaaspaas
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