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कविता आसपास : सुधा वर्मा

10 months ago
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• बॉब कट
– सुधा वर्मा
[ रायपुर : छत्तीसगढ़ ]

जाने कितने दिन गुजारे उधेड़ बुन में
मगन थी मैं बस एक ही धुन में बहुत
रात काटी तारे गिन गिन
उबाल आ ही गया आखिर एक दिन
कहा पति से
चाहे कुछ भी शार्ट कट कर लो
अब तो आप
मेरे बाल बॉब कट कटवा दो
पति महोदय जो अभी अभी मेरे
पास खड़े थे
फिर अभी देखा तो
जमीन पर पड़े थे
पुरातनपंथी पति
लगता है गड़बड़ा गये थे।
होश आने को हुआ तो बड़बड़ा रहे थे
हे भगवान क्या सूझी?
क्या फैक्स भिजवा दिया है?
कैसी डरावनी फिल्म का
क्लाइमेक्स दिखला दिया
अब क्या राम रक्षा पढ़ूं कि
हनुमान चालिसा ?
हे प्राण प्यारी
तुझको तो लग चुका है पैंतालिसवां
ये सब फजूल है ये क्या
ढकोसले करोगी
अब मरने की उमर में
ये सब चोचले करोगी
कहा पति से
मरे मेरे दुश्मन
मेरा आज भी है सोलह बरस का मन
बाल कटा कर, शैम्पू तेल का करुंगी बचत
होगा तुम्हारा कुछ कम बजट
बॉब कट में लगूंगी कुछ बरस कम
मोहल्ले में होगा कुछ इम्प्रेशन
सलवारसूट पहन लिपिस्टिक लगा
रास्ते पर चलूंगी कुछ इठला
मुझे देख तुम्हे भी होगा कुछ हर्ष
लगोगे तुम भी कुछ कम वर्ष
बॉब कट की आजकल धूम मची है
कौन है जो इस पर निहाल नहीं है?
आप क्या समझेंगे ये बॉब कट की बात
अरे आप के सर पर तो बाल नहीं है
बात कुछ नहीं बनी
मन में थी कुछ तना तनी
फौरन चल पड़ी राह पर
पास में ही था पार्लर
सामने से आ रही थी मिसेज तलमले
चहक उठी देखकर मानो हो मनचले
बोल उठी
इतनी सुंदर कितने सालों से हो
लगता है असली सुंदरता बालों में है
हमारे तो बालों में रूसी बढ़ रही है
बालों की कतारें दिनों दिन झड़ रही थी
इतने छोटे हो गये की लडकों का वास्ता
बॉब कट के अलावा नहीं था रास्ता
तुम सुनाओ कहाँ जा रही हो
फिर तो मेरी घर की तरफ
भाग लग गई
घर में घुसी तो लगा
मानों आग लग गई है
ये सिगरेट पर सिगरेट उड़ाये जा रहे थे
मेरे लम्बे बालों का
मातम मना रहे थे
मुझे देख कर दे रहे थे
पोज देवदास
मै खुद ही झिझकती
जा सिमटी उनके पास
खिड़की से ,सूरज आसमां से
नीचे उतर रहा था।
मै बहुत खुश थी
नशा जो उतर रहा था।

• संपर्क-
• 94063 51566

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