कविता आसपास : पल्लव चटर्जी
5 months ago
240
0
▪️
खुशी
ख़ुशी कोई रेडिमेड गारमेंट नहीं
न ही उसे पकाया जाता है
यह एक दृष्टिकोण है
जो कर्मों के परिणाम में निहित है।
भावना का उल्लघंन करके ,
ख़ुशी का पुनर्निर्माण सम्भव नहीं होता है,
न ही इकोनामी को बढ़ावा मिलने की गुजांइश
रहती है।
ख़ुशी से नाता बढ़ाना है तो
मानवीय गुणों का विकास करें।
000
▪️
क्रिकेट की माया
क्रिकेट की माया
अमेरिकन फैंस को भाया ,
वहां अब बन रहें हैं स्टेडियम
चर्चित खेल बेसबॉल कों पीछे छोड़ा
भीड़ पहुंच रहे हैं क्रिकेट देखने में ,
सरकार जुटी है अब इकोनामी बढ़ाने में।
स्टेडियम में जुटी भीड़ देखकर
लगता है क्रिकेट खिलाड़ी
धाक जमा रहें हैं ब्राडकास्टर
निवेशकों का भी जमावड़ा
दर्शकों को लुभा रहे हैं
क्रिकेट की माया
अब अमेरिकन फैंस को भी भाया।
• संपर्क-
• 81093 03936
▪️▪️▪️
chhattisgarhaaspaas
Previous Post कविता आसपास : सुधा वर्मा
Next Post कविता आसपास : आशीष गुप्ता ‘आशू’