कविता आसपास : आशीष गुप्ता ‘आशू’
• माँ शारदे
– आशीष गुप्ता ‘आशू’
[ उत्तरप्रदेश ]
हम बच्चे सभी, माँ बड़े नादान हैं,,
रोज सुबह उठकर, करते तुम्हें प्रणाम हैं ,,
माँ दया कर यूँ सभी पर, विश्व का कल्याण हो,,
प्राणियों में हो सद्भावना, मेरे देश का नाम हो,,
माँ तेरी ही कृपा से, हर सुबह सुनहरी होती,,
माँ तेरी ही कृपा से, रौनकें हैं फैलतीं,,
माँ शारदे तू दीनदयाला है,हाथ में तेरे मुनियों की माला है,,
माँ तुझसे इतना विनती करता हूँ,नष्ट हो सारा गतिरोध विनती करता हूँ,,
साजों को धुन माँ आपसे ही मिलती है,कविता का निर्माण माँ आप ही करती हैं,,
आपसे ही समस्त जग सद्बुद्धि माँ पाता,आप की ही कृपा से माँ मनुष्य मोंक्ष पाता,,
तू निर्मल तेरी कला भी निर्मल है माँ,तू शीतल है तेरा ज्ञान भी शीतल है माँ,,
जिसे भी मिल जाती तेरी मीठी सी ममता,उसके मन में माँ सदा रहती है प्रसन्नता,,
अद्भुत अमृत बसता है माँ तेरे प्रेम में,
अद्भुत अमृत बसता है माँ तेरी कलम में,,
माँ तेरे विशाल हृदय में अमृत है,माँ तेरे नैनों के दर्पण में जन्नत है,,
माँ तेरा हाथ सर पे है तो कैसा रोना है,जहाँ की हर खुशी से बढकर तेरे आंचल का कोना है।
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