कविता आसपास : श्रीमती रंजना द्विवेदी
• मैं मध्यमवर्गीय हूँ
– रंजना द्विवेदी
[ रायपुर : छत्तीसगढ़ ]
ना मैं अमीर हूं, ना गरीब हूं
मैं मध्यमवर्गीय हूं
उच्च वर्ग से बराबरी करने
मै हर मशक्कत करता हूं
जब बच्चों का कपड़ा लाता
तो, बड़ा ही थोड़ा लेता हूं
बड़े के दो तीन साल पहनने के बाद
छोटो को भी मैं पहना लेता हूं
मैं मध्यमवर्गीय हूं,,,,,,,,
जब बीमारी जकड़ लेती है
प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाता हूं
बीमारी ठीक हो या न हो भाई
मैं फटेहाल हो जाता हूं
मैं मध्यमवर्गीय हूं,,,,,,,,
उच्च वर्ग को छू नहीं सकता
ये मेरे बस की बात नहीं
निम्न वर्ग की भांति जीना
कभी मुझे आता रास नहीं
मैं मध्यमवर्गीय हूं,,,,,,,,,
समझौता मेरे जीवन का सार
आकांक्षाएं मेरी सदैव दुश्वार
पर, बुजुर्गो का करता मैं सम्मान
बच्चों में जगाता शिष्टाचार हूं
मैं मध्यमवर्गीय हूं,,,,,,
परिश्रम से नहीं कतराता
दिन रात मैं मेहनत करता हूं
सरकार कोई भी गठित हो
महंगाई का मार मैं सह लेता हूं
मैं मध्यमवर्गीय हूं,,,,,,
आंखों में मेरे सपने हजार
पर, घर के बजट के आगे जाता हार
घर में मेरे हो ए, सी और कार
बड़े बड़े स्वप्न मैं सजा लेता हूं
मैं मध्यमवर्गीय हूं,,,
झूठी अपनी शान की खातिर
हर दर्द मैं पी जाता हूं
उच्च और निम्न वर्ग के मध्य
मै अकसर पीसा जाता हूं
मैं मध्यमवर्गीय हूं,,,,,,,,
जिंदगी भर समझौता करते
यारो, मैं रह जाता हूं
फिर भी खुश रहने का
मैं झूठी स्वांग बखूबी निभा लेता हूं
मैं मध्यमवर्गीय हूं,
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