कोरबा के महत्व एवं प्राकृतिक सौंदर्य पर-
●हिन्दकी-ऊर्जावान हूँ मैं
-डॉ.माणिक विश्वकर्मा’नवरंग’
-कोरबा, छत्तीसगढ़
हिंदकी – ऊर्जाधानी हूँ मैं
कोयलांचल हूँ मैं , ऊर्जाधानी हूँ मैं
राम के वन गमन की कहानी हूँ मैं
देवपहरी , कुदुरमाल , गढ़ लेमरू
स्वर्ग की दास्ताँ हूँ , निशानी हूँ मैं
अनगिनत जलप्रपातों से हूँ मैं घिरा
नदियों की छलछलाती रवानी हूँ मैं
सतरेंगा,केंदई ,पाली औ लाफागढ़
देवस्थल हूँ , संतों की बानी हूँ मैं
पूरे भारत को रखता हूँ मैं बाँधकर
लाखों मज़दूरों की ज़िंदगानी हूँ मैं
बहता हूँ धमनियों में लहू की तरह
बांगो का बाँध , हसदो का पानी हूँ मैं
बिजली पहुंचा रहा हूँ सभी के लिए
गर्व हूँ देश का , स्वाभिमानी हूँ मैं
मेरी पहचान क़ायम है उद्योग से
तन से मटमैला हूँ, मन से दानी हूँ मैं
रह गया हूँ सिमटकर मैं इतिहास में
राजधानी रहा , अब किसानी हूँ मैं
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● कोरबा जिले का तुमान – छ.ग.की पहली राजधानी रहा।
● कोरबा को – कोयलांचल एवं ऊर्जाधानी तथा चैतुरगढ़ को लाफागढ़ व छ.ग.का कश्मीर भी कहा जाता है।
● बांगों बांध में मॉरिशस जैसा नज़ारा दिखाई देता है।
● कोरबा में भी एक ऐसी गुफा है, जहां वनवास के दौरान भगवान श्रीराम भाई लक्ष्मण और सीता के साथ पहुंचे थे। अत्रि मुनि के इस आश्रम में माता अनुसुइया ने सीता को नारी धर्म का पाठ पढ़ाया था। इस वजह से शहर के इस क्षेत्र को सीतामढ़ी के नाम से जाना जाता है।
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●कवि संपर्क-
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