हरेली विशेष कविता : डॉ. दीक्षा चौबे
▪️
हरेली
परब हरेली मानबो, पहिली हमर तिहार।
गुरहा चीला भोग बर, गरमागरम उतार।।
खोंचे डारा नीम के, बिपत टरे के आस।।
खेती के औजार ला, धो लव पूज पखार।।
गेंड़ी मा चढ़ के चलव, चिखला तरिया धार।
रचमच रचमच बोल हर, उतरे हिरदे पार।।
राँपा गैंती माँज लव, पूजव देके हूम।
देबर सुघर असीस ला, पुरखा आँय हमार।।
नीम डार ला खोंच दव, कुरिया ठौर दुआर।
गुलगुल भजिया ठेठरी, डुबकी कढ़ी बघार।
धान पान सुघ्घर रहय, सूपा टुकनी टाँग।
जरी खवावव गाय गरु, होवय झन बीमार।।
हरियर हरियर गाँव घर, धान भरे कोठार।
मन के करिया भाव ला, मया दिया मा बार।
हाथ जोर के लव मना, भाई बहिनी आज।
राजी खुशी सब रहँय, एक रहय परिवार।।
▪️
यह मिट्टी चंदन सी महकी
यह मिट्टी चंदन सी महकी ,
खेतों में सावन हँसता है ।
वंदन करते मातृभूमि को ,
हर दिल में भारत बसता है ।।
छाई हरियाली वन-उपवन ,
वसुधा ओढ़े चूनर धानी ।
पूजे जाते पर्वत पौधे ,
नदियों को माता मानी ।
गूँजे स्वर अजान गुरुबानी ,
वेद मंत्र पावन करता है ।।
हर दिल में भारत बसता है ।।
सहिष्णुता समुदायों में है ,
प्रेम समन्वय भाईचारा ।
संस्कृतियों की गंगा बहती ,
सुविचारों की निर्मल धारा ।
विपदा संबल धैर्य बढ़ातीं ,
वक्त कसौटी में कसता है ।
हर दिल में भारत बसता है ।।
त्यौहारों की धूम यहाँ पर ,
रंगोली घर के आँगन में ।
सोंधी खुशबू व्यंजनों की ,
झूले सजते हैं सावन में ।
तीज दिवाली होली राखी ,
लाती मन में समरसता है ।।
गौतम गाँधी सुभाष नेहरू ,
अनमोल रत्न भारत के हैं ।
विश्वगुरु बना शांति प्रणेता ,
किस्से कई शहादत के हैं ।
राम कृष्ण जन्मे जिस भू पर ,
मूल्य धर्म की सरसता है ।।
कबीर नानक रहीम तुलसी ,
संत हुए हैं ज्ञानी ध्यानी ।
महिमा राम नाम गुण गाए ,
समझें मूढ़ मति अज्ञानी।
ग्रंथ कई महान रच डाले ,
जीवन-शिक्षा पावनता है ।।
सीमा की रक्षा के प्रहरी ,
साहस शौर्य की मूरत हैं ।
मर-मिटने को तैयार सदा ,
त्याग समर्पण की सूरत हैं ।
इन वीर सैनिकों के आगे ,
दुश्मन न कोई भी टिकता है ।।
• संपर्क-
• 94241 32359
०००